डेरिवेटिव क्या है?, परिभाषा, अर्थ, प्रकार, रिस्क और लाभ | Derivatives Meaning in Hindi.

आज मैं इस ब्लॉक के माध्यम से आपको डेरिवेटिव क्या है?, डेरिवेटिव के कितने प्रकार होते हैं? और स्टॉक मार्केट में कैसे डेरिवेटिव ट्रेडिंग कर सकते हैं? के बारे में काफी विस्तार में बताया हूं।

अगर आप इस ब्लॉक पोस्ट को अच्छे से पढ़ लेते हैं तो डेरिवेटिव्स के बारे में कोई भी डाउट नहीं बचेगा और इसके बारे में जानने के लिए कोई और चीज का हेल्प नहीं लेना पड़ेगा इसलिए इस ब्लॉक पोस्ट को पूरा पढ़ें और डेरिवेटिव के बारे में अच्छे से जाने और सभी डाउट क्लियर कर ले।

इस ब्लॉक में मैं स्टॉक मार्केट के सभी concept को काफी सरल शब्दों में समझता हूं। अगर आपको स्टॉक मार्केट के बारे में कुछ भी जानना हो तो इस ब्लॉक के और भी पोस्ट को पढ़ सकते हो और स्टॉक मार्केट में हमेशा अपडेट रहना चाहते हो तो इसे सब्सक्राइब कर सकते हो जिससे आपके पास नोटिफिकेशन पूछता रहेगा।

डेरिवेटिव क्या है? (Derivatives Kya Hota Hai?)

Derivatives kya hai, डेरिवेटिव क्या है?
Derivatives Kya Hai, (Canva.com)

डेरिवेटिव” एक वित्तीय उपकरण है जिसका मूल अर्थ होता है कि इसका मूल्य किसी अन्य संबंधित वस्तु की मूल्य से होता है, जिसे “मौलिक” कहा जाता है। इसे आमतौर पर वित्तीय बाजारों में विभिन्न प्रकार की वित्तीय सौदों का हिस्सा माना जाता है।

मुझे उम्मीद है ये किताबें defination आपको समझ में नहीं आया होगा कोई बात नहीं मैं आपको एग्जांपल के माध्यम से काफी आसान शब्दों में आपको समझाने की कोशिश करता हूं।

डेरिवेटिव का एग्जांपल | Example of Derivatives.

चलिए अब हम समझते हैं कि डेरिवेटिव्स क्या है लेकिन उसके पहले मुझे आप लोगों से पूछना है,

500 rupees

क्या इस कागज (fig.-1) के बदले आप मुझे 500 रुपए देंगे, शायद नहीं, क्या अब इस नोट (fig.-2) के बदले आप मुझे 500 रुपए देंगे, शायद हां, तो कागज पर भी 500 रुपए लिखा हुआ है और नोट पर भी 500 रुपए लिखा हुआ है फिर कागज की कीमत कुछ नहीं और नोट के बदले आप मुझे 500 रुपए देंगे ऐसा क्यों और आखिर इसकी कीमत 500 रुपए क्यों है? क्या इसको बनाने में 500 रुपए लगते हैं क्या इसमें चांदी का लेप लगा हुआ है क्यों है इसकी कीमत 500 रुपए,

वह इसलिए कि इस पर आरबीआई (RBI) के गवर्नर ने साइन किया हुआ है कि इसके बदले मुझे 500 रुपए की वैल्यू मिलेगी, तो क्योंकि एक बड़ी अथॉरिटी ने इस पर साइन किया हुआ है इसलिए इसकी वैल्यू है,

अगर इस कागज पर भी आरबीआई (RBI) के गवर्नर या ऐसा कोई बड़ा आदमी साइन कर दे तो इसकी भी वैल्यू हो जाएगी, यानी इसकी खुद की कोई वैल्यू नहीं है इसकी वैल्यू ड्राइव हो रही है इस सिग्नेचर से, अब मैं यह सब क्यों डिस्कस कर रहा हूं, क्योंकि अभी-अभी हमने जान लिया कि डेरिवेटिव क्या होता है,

डेरिवेटिव्स यानी वह इंस्ट्रूमेंट (Instrument) जिसकी खुद की कोई वैल्यू नहीं है लेकिन जिसकी वैल्यू ड्राइव हो रही है किसी और चीज से, जो इस केस में है गवर्नर का सिगनेचर।

लेकिन जरा सोचिए सिक्के (Coins) में इस तरीके का आरबीआई गवर्नर का साइन क्यों नहीं होता?

क्योंकि कोइंस की काफी कुछ अपनी आंतरिक मूल्य (Intrinsic value) होती है। इसलिए कई बार हम न्यूज़ में पढ़ते हैं कि कई लोग अवैध रूप से (illegally) सिक्के (Coins) को मेल्ट करके मेटल बेच कर पैसा कमा रहे हैं,

क्योंकि कई बार 1 रुपए के सिक्का एक रुपए के मेटल से बन जाता है तो अगर उसको मेल्ट कर दो तो भी आपको कीमत मिल जाती है इसीलिए जैसे-जैसे महंगाई बढ़ती है रुपए की कीमत घटती है सरकार सिक्कों को और पतला और छोटा करती जाती है, ताकि ऐसा ना हो की 1 रुपए के सिक्के की बनाने की कास्ट डेड रुपए हो जाए जिससे लोग मेल्ट कर करके पैसा कमाए,

तो सिक्कों की काफी कुछ खुद की आंतरिक मूल्य (Intrinsic value) होती है लेकिन नोट अपनी वैल्यू ड्राइव करता है किसी और चीज से, तो जो इंस्ट्रूमेंट की खुद की वैल्यू ना हो और वह अपनी वैल्यू ड्राइव करें किसी और अंडरलाइन asset या किसी अंडरलाइन चीज से उसे डेरिवेटिव्स कहते हैं

एक और एग्जांपल लेते हैं-

मान लीजिए एक लॉकर की चाबी है और उस लॉकर के अंदर कुछ भी नहीं है वह लॉकर खाली है तो उस लॉकर (Locker) की चाबी की कीमत क्या है? शायद कुछ भी नहीं,

लेकिन अगर इस लॉकर के अंदर 5 लाख रुपए हैं और जिसके पास वे चाबी है, वे लॉकर उसका ऐसा मान लेते हैं, तब उस लॉकर की चाबी की कीमत क्या हुई? 5 लख रुपए क्योंकि आपके पास वह चाबी है तो उस तिजोरी के अंदर के 5 लख रुपए आपके तो ऐसे लॉकर के लिए आप 5 लख रुपए तक या उससे कुछ कम देने को रेडी हो जाएंगे,

तो उस चाबी की कीमत आ रही है, उस लॉकर में रखे हुए चीज के हिसाब से, यानी वह चाबी डेरिवेटिव है और उसका अंडरलाइन asset है वे लॉकर में रखी हुई चीज।

Derivatives Meaning in Hindi.

डेरिवेटिव का मतलब है एक ऐसी चीज जो किसी अन्य चीज से आई हो यानी किसी और चीज पर आधारित हो, और डेरिवेटिव जिस चीज पर डिपेंड होता है उसे हम underlying asset कहते हैं।

हर डेरिवेटिव का प्राइस उसके underlying asset पर डिपेंड करता है. मतलब underlying asset का प्राइस बढ़ने पर डेरिवेटिव का भी प्राइस बढ़ेगा और underlying asset का प्राइस गिरने पर डेरिवेटिव का प्राइस भी गिरने लगेगा।

मैं उम्मीद करता हूं की आपको डेरिवेटिव अच्छे से समझ में आ गया होगा। अब आगे बात करते हैं कि शेयर बाजार में डेरिवेटिव क्या होता है? और इसे कैसे ट्रेड करते हैं?

स्टॉक मार्केट में डेरिवेटिव्स क्या है? | What is Derivatives in Stock Marker?

“स्टॉक मार्केट में डेरिवेटिव्स वित्तीय उपकरण होते हैं जिनकी मूल्य सीधे एक वित्तीय संस्था, स्टॉक, या अन्य संपत्तियों के मूल्य पर निर्भर करता है। डेरिवेटिव्स का मूल अर्थ होता है कि इसका मूल्य या मूल्यांकन (valuation) किसी अन्य संस्था या संपत्ति से होता है, जिसे “मौद्रिक” या “असली संपत्ति” कहा जाता है।”

अगर आपको डेफिनेशन समझ में नहीं आया हो तो कोई बात नहीं मैं आपको एग्जांपल के साथ समझता हूं।

आपने स्टॉक मार्केट में Nifty 50, Bank Nifty और Sensex का नाम तो सुना ही होगा यह सब एक प्रकार का Index है जिसे डेरिवेटिव भी कहते हैं क्योंकि ये सब इंडेक्स कुछ स्टॉक पर निर्भर करता है जो स्टॉक इसमें शामिल होता है,

ये सब इंडेक्स खुद move नहीं करता है यदि इसमें शामिल सभी स्टॉक का एवरेज प्राइस ऊपर जाएगा तो ये इंडेक्स भी ऊपर जाएगा यदि एवरेज नीचे जाएगा तो ये इंडेक्स भी नीचे जाएगा इसलिए इसे स्टॉक मार्केट का डेरिवेटिव्स कहते हैं।

आपने ऑप्शन, फ्यूचर ये सब का भी नाम सुना ही होगा ये सब भी किसी इंडिविजुअल स्टॉक का डेरिवेटिव्स होता है।

डेरिवेटिव कितने प्रकार के होते हैं? | Types of Derivatives in Hindi.

Types of Derivatives in Hindi
Types of Derivatives in Hindi (Canva.com)

स्टॉक मार्केट में डेरिवेटिव्स जनरली चार प्रकार की होती है।

  1. Forward Derivative,
  2. Future Derivative,
  3. Option Derivative,
  4. Swap Derivative.

हम चारों को एक लाइन में देख लेते हैं बाकी अगर आपको काफी विस्तार में जाना है तो हमारे दूसरे ब्लॉक पोस्ट को पढ़ना पड़ेगा जिसमें चारों के बारे में काफी विस्तार में बताया गया है।

  1. फॉरवर्ड (Forwards):- एक समझौता जिसमें दो प्रतिष्ठाने एक-दूसरे के साथ किसी सुदृढ़ मौद्रिक मूल्य पर एक संपत्ति की खरीददारी या बिक्री करने का समझौता करते हैं।
  2. ऑप्शन (Options):- एक अधिकृत पुरस्कार जिसमें वित्तीय संस्था एक निर्दिष्ट समय के लिए एक संपत्ति को खरीदने या बेचने का अधिकार धारित करती है, लेकिन इसका कोई कर्तव्य नहीं होता।
  3. स्वैप (Swaps):- दो प्रतिष्ठानों के बीच एक या एक से अधिक संपत्तियों की आदान-प्रदान के लिए किए गए एक समझौता।
  4. फ्यूचर्स (Futures):- एक संबंधित निर्दिष्ट तिथि पर एक निर्दिष्ट मौद्रिक मूल्य पर एक संपत्ति की खरीददारी या बिक्री करने का समझौता।

मैं समझता हूं आपको यह किताब भाषा समझ में नहीं आ रहा लेकिन कोई बात नहीं मैंने चारों को काफी सरल भाषा में और विस्तार में समझाया है इसके लिए आपको दूसरे पोस्ट को पढ़ना पड़ेगा जो मैं आपको Link दे दिया हूं।

डेरिवेटिव ट्रेडिंग क्या होती है? (Derivatives trading in Hindi)

“आपको पता होगा जब आप किसी कंपनी के स्टॉक को खरीदते और बेचते हैं तो उसे स्टॉक ट्रेडिंग कहते हैं, लेकिन अगर आप किसी कंपनी का शेयर buy ना करके उसी शेयर पर आधारित डेरिवेटिव को buy करें तो उसे ही डेरिवेटिव ट्रेडिंग कहते है।”

उदाहरण के लिए:- अगर आप ABC शेयर को buy ना करके ABC के फ्यूचर या ऑप्शन को buy करें तो उसे हम ABC शेयर के डेरिवेटिव ट्रेडिंग कहेंगे।

डेरिवेटिव ट्रेडिंग के लिए ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म

भारतीय शेयर बाजार में डेरिवेटिव ट्रेडिंग के लिए कई ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म्स उपलब्ध हैं, जो Trader और Investor को विभिन्न डेरिवेटिव में व्यापार करने में मदद करते हैं। यहां कुछ प्रमुख भारतीय ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म्स के उदाहरण हैं:

  1. Zerodha Kite:- Zerodha Kite एक पॉपुलर ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म है जो भारतीय शेयर बाजार में डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग की सुविधा प्रदान करता है। इसमें उपयोगकर्ताओं को शैक्षिक सामग्री, चार्ट्स, और अन्य विशेषताएँ मिलती हैं।
  2. Upstox: Upstox भी एक लोकप्रिय ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म है जो भारतीय शेयर बाजार में डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग के लिए उपयोग किया जा सकता है। इसमें उपयोगकर्ताओं को व्यापार संबंधित अनुकूलित चार्ट्स, अलर्ट्स, और अन्य सुविधाएं मिलती हैं।
  3. ICICI Direct:- ICICI Direct भी एक लोकप्रिय बैंक-सम्बंधित ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म है जिसमें विभिन्न डेरिवेटिव्स उत्पादों पर ट्रेडिंग की सुविधा है। इसमें उपयोगकर्ताओं को बाजार की ताजगी, अलर्ट्स, और विस्तृत रिसर्च रिपोर्ट्स मिलती हैं।
  4. Sharekhan TradeTiger:- Sharekhan भी एक प्रसिद्ध ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म है जिसमें डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग की सुविधा है। इसमें अनुकूलित चार्ट्स, टेक्निकल एनालिसिस टूल्स, और अन्य सुविधाएं शामिल हैं। इस ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म में कॉलिंग सिस्टम भी है जिसे आप कॉल करके अपना ट्रेड एग्जीक्यूट करवा सकते हो।

इसके अलावा भी बहुत सारे ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म है जो आपको डेरिवेटिव ट्रेडिंग की सुविधा प्रदान करता है जैसे Groww, Dhan आदि.

स्टॉक मार्केट में डेरिवेटिव ट्रेडिंग कैसे करें?

स्टॉक मार्केट में डेरिवेटिव्स के केवल दो part फ्यूचर और ऑप्शन में ही ट्रेडिंग की जाती है। फ्यूचर और ऑप्शन के बारे में अपने पहले से भी काफी सुन रखा होगा,

इसके लिए आपको सबसे पहले किसी भी ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म में डिमैट अकाउंट खुलवाना पड़ेगा उसके बाद उसे अकाउंट में फीचर और ऑप्शन का सेगमेंट (F&N) को एक्टिव करवाना पड़ेगा उसके बाद आप किसी भी स्टॉक किया इंडेक्स में डेरिवेटिव ट्रेडिंग कर सकते हैं।

डेरिवेटिव ट्रेडिंग के नुकसान

जैसा की आपको मैंने पहले बताया कोई भी डेरिवेटिव खुद move नहीं करता है ये किसी दूसरे पर आश्रित होता है इसलिए यह थोड़ा रिस्की होता है।

जैसे किसी स्टॉक के ऑप्शन या फ्यूचर में ट्रेड कर रहे हो तो वह ऑप्शन या फ्यूचर तभी बढ़ेगा जब स्टॉक का प्राइस बढ़ेगा और ये ऑप्शन और फ्यूचर एक कॉन्ट्रैक्ट है इसलिए इसके पास एक निश्चित समय अंतराल है और इसी समांतरल में इसको बढ़ाना होगा तभी आपको यह कॉन्टैक्ट प्रॉफिट दे सकता है otherwise नुकसान भी हो सकता है।

अगर आपको डेरिवेटिव ट्रेडिंग में नुकसान से बचाना है तो सबसे पहले आपको सिखाना पड़ेगा की स्टॉक मार्केट क्या है?, स्टॉक मार्केट कैसे काम करता है?, ट्रेडिंग क्या है?, फंडामेंटल एनालिसिस, टेक्निकल एनालिसिस आदि उसके बाद डेरिवेटिव ट्रेनिंग में प्रॉफिट कमा सकते हो।

यदि आप किसी स्टॉक में डेरिवेटिव ट्रेडिंग कर रहे हो अर्थात ऑप्शन या फ्यूचर ट्रेडिंग कर रहे हो तो SEBI के नया गाइडलाइन के अनुसार यदि आप इस कॉन्ट्रैक्ट को एक्सपायरी तक अपने पास रख लेते हैं तो आपको इस कॉन्ट्रैक्ट के अनुसार उसे स्टॉक, जिस स्टॉक के यह कॉन्ट्रैक्ट है उसकी डिलीवरी लेना पड़ेगा,

यदि आपके पास उसके डिलीवरी लेने के लिए पर्याप्त कैपिटल नहीं है तो आपको काफी बड़ा जुर्माना (penalty) भी देना पड़ सकता है इसलिए ये थोड़ा रिस्की है काफी ध्यान से इसमें ट्रेडिंग करें बाकी इंडेक्स में फिलहाल ऐसा कोई rules नहीं है उसमें बिंदास ट्रेडिंग कर सकते हो।

डिलीवरी ट्रेडिंग के फायदे

डिलीवरी एक कॉन्ट्रैक्ट है इसलिए इसमें ट्रेडिंग करने के लिए ज्यादा कैपिटल की जरूरत नहीं होती है, डिलीवरी ट्रेडिंग में कम कैपिटल पर अच्छा खासा प्रॉफिट बना सकते हैं।

डिलीवरी ट्रेडिंग में प्रॉफिट और लॉस बड़ा जल्दी हो जाता है इसके लिए हमें ज्यादा इंतजार नहीं करनी पड़ती है क्योंकि कोई भी कॉन्ट्रैक्ट मैक्सिमम 3 महीने का होता है और मिनिमम एक सप्ताह का होता है लेकिन आप चाहे तो एक दिन, 1 घंटे या 1 मिनट में भी sell सकते हो।

डिलीवरी ट्रेडिंग के जरिए आप किसी भी पोजीशन को Hedge कर सकते हो अर्थात आप अपने रिस्क को मिनिमाइज कर सकते हो।

डेरिवेटिव क्या है?

FAQs

Q: डेरिवेटिव का मतलब क्या है?

Ans: “डेरिवेटिव” एक वित्तीय उपकरण है जिसका मूल अर्थ होता है कि इसका मूल्य किसी अन्य संबंधित वस्तु की मूल्य से होता है, जिसे “मौलिक” कहा जाता है। इसे आमतौर पर वित्तीय बाजारों में विभिन्न प्रकार की वित्तीय सौदों का हिस्सा माना जाता है।

Q: डेरिवेटिव के प्रकार कौन-कौन से हैं?

Ans: स्टॉक मार्केट में डेरिवेटिव्स जनरली चार प्रकार की होती है।

  1. Forward Contract,
  2. Future Contract,
  3. Option Contract,
  4. Swap Contract.

Q: स्टॉक मार्केट में डिलिवरी ट्रेडिंग के कौन-कौन से प्रकार में ट्रेडिंग किया जाता है?

Ans: स्टॉक मार्केट में डिलीवरी ट्रेडिंग के मुख्य दो प्रकार में ट्रेडिंग किया जाता है।

  1. Future Derivative,
  2. Option Derivative.

Q: किसी को डेरिवेटिव में ट्रेड कब करना चाहिए?

Ans: डिलीवरी ट्रेडिंग थोड़ा रिस्की है इसीलिए सबसे पहले स्टॉक मार्केट को अच्छे से सीखे उसके बाद कुछ दिन स्टॉक में ट्रेडिंग करें अर्थात कैश ट्रेडिंग करें उसके बाद डिलीवरी में ट्रेडिंग कर सकते हो।

Q: भारत में डेरिवेटिव्स का कारोबार कहां होता है?

Ans: भारत में डेरिवेटिव्स का करवाना NSE अर्थात ‘नेशनल स्टॉक एक्सचेंज‘ और BSE या यानी ‘बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज‘ में किया जाता है।

Q: Derivative meaning in Hindi

Ans: डेरिवेटिव का हिंदी मीनिंग “व्युत्पन्न” होता है।

Q: Derivative trading meaning in Hindi

Ans: आपको पता होगा जब आप किसी कंपनी के स्टॉक को खरीदते और बेचते हैं तो उसे स्टॉक ट्रेडिंग कहते हैं, लेकिन अगर आप किसी कंपनी का शेयर buy ना करके उसी शेयर पर आधारित डेरिवेटिव को buy करें तो उसे ही डेरिवेटिव ट्रेडिंग कहते है।

Q: भारत का सबसे बड़ा शेयर बाजार कौन सा है?

Ans: भारत का सबसे बड़ा शेयर बाजार NSE अर्थात ‘नेशनल स्टॉक एक्सचेंज’ है।

Q: क्या डेरिवेटिव ट्रेडिंग लाभदायक है?

Ans: जी हां, डेरिवेटिव ट्रेडिंग लाभदायक है लेकिन उसके लिए आपको पहले इसे अच्छे से सीखना पड़ेगा उसके बाद इस मार्केट में प्रॉफिटेबल हो सकते हो।

Q: डेरिवेटिव से पैसे कैसे कमाए?

Ans: डेरिवेटिव में पैसा कमाने के लिए आपको ऑप्शन और फ्यूचर ट्रेडिंग करना पड़ेगा जो काफी रिस्की है इसलिए पहले आप इसे अच्छे से सीखे उसके बाद डेरिवेटिव में पैसा कमा सकते हो।

Conclusion

मैं आशा करता हूं कि डेरिवेटिव क्या होती है? पूरी जानकारी हिंदी में आपको समझ में आया होगा, इसके बारे में काफी चीज पता चल गई होगी। अगर कोई सवाल है तो हमसे कमेंट में पूछ सकते हैं।

मैं इस पोस्ट के माध्यम से आपको भारतीय शेयर बाजार में डेरिवेटिव ट्रेडिंग सीखने का सही तरीका के बारे में समझने की कोशिश किया हूं। जितना हो सके आप शेयर मार्केट को सीख कर ही इसमें काम करें किसी के टिप्स पर आश्रित ना रहे।

अगर आप स्टॉक मार्केट के बारे में और भी कुछ जानना चाहते हैं तो इस ब्लॉग के और भी पोस्ट पढ़ सकते हो स्टॉक मार्केट में हमेशा अपडेट रहना चाहते हो तो इसे सब्सक्राइब कर सकते हो जिससे आपके पास नोटिफिकेशन पूछता रहेगा।

अगर आपको इस पोस्ट में दी गई जानकारी उपयोगी लगी हो तो आप इस पोस्ट को सोशल मीडिया पर उन लोगों के साथ शेयर कर सकते हैं जिन्हें इस जानकारी की जरूरत है और अपने दोस्तों के साथ भी शेयर कर सकते हो।

Thank You.

Leave a comment